देश में 3.03 करोड़ युवा बेरोजगार, ये लॉकडाउन के दौर से भी पार

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देश पिछले चार साल से लगातार तेजी से बढ़ रही बेरोजगारी :

रेलवे की परीक्षा में गड़बड़ी के बाद युवा प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन क्या सिर्फ एक परीक्षा में हुई गड़बड़ी से ही युवा इतने नाराज हैं? जानकारों की बात माने तो युवाओं में गुस्से की बड़ी वजह बेरोजगारी का रिकॉर्ड स्तर है। बेरोजगारी का डेटा जारी करने वाली संस्था Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर से दिसंबर 2021 के दौरान देश में बेरोजगारों की कुल संख्या 3.18 करोड़ रही।

इनमें 3.03 करोड़ 29 साल से कम उम्र के हैं। यह संख्या 2020 में देशभर में लगे लॉकडाउन के दौर से भी ज्यादा है। तब देश में 2.93 करोड़ युवा बेरोजगार थे। 3.03 करोड़ युवा तो वे हैं, जो सक्रियता से काम खोज रहे हैं। 1.24 करोड़ युवा ऐसे भी हैं, जो रोजगार तो चाहते हैं, लेकिन सक्रियता से काम नहीं खोज रहे। यदि इन्हें भी शामिल कर लें तो युवा बेरोजगारों की संख्या 4.27 करोड़ हो जाती है।

CMIE बेरोजगारी का डेटा जारी करने वाली एकमात्र संस्था है। CMIE के डेटा का इस्तेमाल RBI समेत केंद्र सरकार के विभाग भी करते हैं।

बेरोजगारी

चौंकाने वाले 3 तथ्य

• कुल बेरोजगारों में 95% 29 साल से कम उम्र के

• इस समय 1.18 करोड़ से ज्यादा ग्रेजुएट बेरोजगार

• 1.24 करोड़ तो सक्रियता से काम खोज भी नहीं रहे।

सिर्फ 4 साल में 1.26 करोड़ युवा बेरोजगार :-

हमारे भारत में पिछले 4 सालों से लगातार युवा बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। और हमारी सरकार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर देखा जाए तो 15 से 19 साल आयु वर्ग के युवा सितंबर से दिसंबर वर्ष 2021 में 40.25 लाख लोग बेरोजगार हैं जबकि यह लॉकडाउन के द्वार मई से अगस्त 2020 में यह संख्या 30.25 लाख थी और सितंबर से दिसंबर वर्ष 2017 में यह बेरोजगारों की संख्या 27.64 लाख थी।

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20 से 24 आयु वर्ग के युवा सितंबर से दिसंबर वर्ष 2021 में 2.03 करोड़ लोग बेरोजगार हैं जबकि यह लॉकडाउन के दौर में मई से अगस्त 2020 इनकी संख्या 1.81 करोड़ और सितंबर से दिसंबर 2017 में बेरोजगारों की संख्या 1.06 करोड़ थी। और 25 से 29 आयु वर्ग के युवा सितंबर से दिसंबर वर्ष 2021 में 60.69 लाख लोग बेरोजगारी की मार से पीड़ित है। और यह लॉकडाउन दर्द के समय 2020 में लाख लोग बेरोजगार थी और सितंबर से दिसंबर 2017 में 44.09 लाख लोग बेरोजगार थे इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए देखा जाए तो 2017 और 2020 से बेरोजगारों की संख्या 2021 में काफी ज्यादा बढ़ गई।

2017 में कुल मिलाकर 1.77 करोड़ लोग बेरोजगार थे जबकि लॉकडाउन के दौर के समय 2020 में कुल बेरोजगारों की संख्या 2.93 करोड़ थी। और सितंबर से दिसंबर वर्ष 2021 में यह बेरोजगारों की संख्या 3.03 करोड हो गई।

इन 4 सालों में 2021 में तो लाक डाउन से भी ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं।

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ग्रेजुएट सबसे ज्यादा बेरोजगार :-

हमारी शिक्षा स्तर में पांचवी तक के बच्चे दिसंबर 2021 में 0.7% और दिसंबर 2017 में 0.9% रही है। छठवीं से 9वी तक के बच्चे दिसंबर 2021 में 1.5% और दिसंबर 2017 में 3% इनकी शिक्षा का स्तर थी।

दसवीं से बारहवीं तक के बच्चों का शिक्षा विस्तर दिसंबर 2021 में 10.3% था और दिसंबर 2017 में यह 7.3% था अगर बात कीजिए ग्रेजुएट छात्रों की तो इनकी शिक्षा स्तर दिसंबर 2021 में 19.4% तथा दिसंबर 2017 में 11.9% थी।

दसवीं और बारहवीं की शिक्षा स्तर दिसंबर 2021 मे इसलिए दिखाई दे रही हैं। क्योंकि बच्चों का परीक्षा इस साल हुआ ही नहीं जिससे बच्चे प्रमोट होकर अधिक अंक प्राप्त किए और इसमें शिक्षा स्तर बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है जबकि 10वीं और 12वीं टीवी शिक्षा स्तर अच्छी नहीं है 2017 की अपेक्षा।

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युवा इतने हताश हुए कि तलाश ही छोड़ दी

* युवाओं में बेरोजगारी ज्यादा क्यों? क्योंकि नई नौकरियां पैदा नहीं हो रहीं, इसलिए युवा ही ज्यादा बेरोजगार हैं।

* ग्रेजुएट्स ज्यादा बेरोजगार क्यों? कम पड़ा-लिखा छोटा-मोटा काम शुरू कर देता है। लेकिन, शिक्षित युवा योग्यता के अनुरूप ही नौकरी तलाशते हैं।

लाकडाउन

सक्रियता से नौकरी नहीं तलाशने वाले बेरोजगारों की संख्या ज्यादा क्यों है? लंबे समय तक काम की तलाश के बाद भी वंचित रह गए बहुत से लोग निराश हो चुके हैं। वे अब नौकरी तलाशने भी नहीं आ रहे। बेरोजगारी बढ़ने के क्या कारण हैं?

कुछ वर्षों से अर्थव्यवस्था संतुलित तरीके से नहीं बड़ी यही प्रमुख कारण है। Construction, Toorism, Hospitality जैसे सेक्टरों का बिजनेस अर्थव्यवस्था की रफ्तार के मुकाबले कम गति से बढ़ा है

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