Uniform Civil Code: समान नागरिक संहिता को लाने की हो रही तैयारी? विधि आयोग ने 30 दिनों में सार्वजनिक व धार्मिक संगठनों से मांगे सुझाव

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भारत के 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में बड़े पैमाने पर जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों को जानने का फिर से फैसला किया है। इस अद्यादेश के अनुसार, व्यक्ति जो इच्छुक है वह नोटिस की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर अपने विचारों को विधि आयोग को भेज सकता है।

यह फैसला एक अद्यादेश के रूप में किया गया है और लोगों को अवधि दी गई है ताकि वे इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपने विचार प्रकट कर सकें। समान नागरिक संहिता एक महत्वपूर्ण विषय है जो भारतीय समाज में विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच विवादों का कारण बना हुआ है। यह संहिता एक संघीय कानून होगा जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और विशेषता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।

आयोग ने सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों से इस मुद्दे पर मांगी राय :-

विधि आयोग ने बुधवार को समान नागरिक संहिता के मसले पर नए सिरे से परामर्श मांगने की प्रक्रिया आरंभ करेंगे। इस परामर्श के लिए, आयोग ने सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों से इस मुद्दे पर राय मांगी है।

केंद्र सरकार ने एक बयान में इसकी घोषणा की है, जिसमें कहा गया है, “भारत के 21वें विधि आयोग ने शुरू में समान नागरिक संहिता पर विषय की पड़ताल की थी, और 07.10.2016 को प्रश्नावली और उसके बाद 19.03.2018, 27.03.2018 और 10.4.2018 को हुई सार्वजनिक अपील/नोटिस के साथ अपनी अपील के माध्यम से सभी हितधारकों के विचार मांगे थे।”

यह पहल विधि आयोग की ओर से नए सिरे से समान नागरिक संहिता के मसले की जांच करने के लिए की गई है और इसका उद्देश्य है संविधानिक और वैधानिक प्रावधानों में संशोधन करना और नागरिक संहिता को समानता और न्याय के मूल्यों के साथ लागू करना।

21वें विधि आयोग द्वारा परिवार कानूनों में सुधार करने की कही गई थी बात 

21वें विधि आयोग ने परिवार कानूनों में सुधार के बारे में अपनी पहली संशोधन प्रस्तावना की है। उनके बयान में यह कहा गया है कि विधि आयोग को पूर्व के कानूनी उपायों के परिणामस्वरूप कई आपत्तिजनक प्रतिक्रियाएं मिली हैं। वे बता रहे हैं कि उन्होंने 31.08.2018 को “परिवार कानून के सुधार” पर परामर्श पत्र जारी किया था।

जबकि तीन साल से अधिक समय बीत चुका है, इसे ध्यान में रखते हुए और विभिन्न अदालती आदेशों को विचार में लेते हुए, विधि आयोग ने इस विषय पर नए सिरे से विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया है। इस प्रकार, भारत के 22वें विधि आयोग इस मुद्दे पर नया परामर्श लेने की योजना बना रहे हैं।

विधि आयोग ने लोगों को अगले 30 दिनों में समान नागरिक संहिता पर अपने सुझाव भेजने के लिए नोटिस जारी किया है। इससे वे जनता को सक्रिय रूप से संघर्ष करने और इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी राय देने के लिए बढ़ावा देना चाहते है

इच्छुक संगठन और व्यक्तियों को 30 दिनों के भीतर दे सकते हैं अपनी राय :-

भारत के 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के मामले में अपने संदर्भ में एक विशेष पहल शुरू की है। इस पहल के अंतर्गत, आयोग ने जनता और प्रतिष्ठित धार्मिक संगठनों के विचारों को पुनः जानने का फैसला किया है।

इच्छुक लोग इस प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं और वे अपने सुझाव आयोग को भेज सकते हैं। इसके लिए, एक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि इच्छुक संगठनों और व्यक्तियों को नोटिस की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर अपने विचारों को आयोग को भेजने का मौका मिलेगा।

यह पहल समान नागरिक संहिता के विषय में व्यापक और व्यावहारिक ज्ञान को एकत्र करने और सुनने का माध्यम है, ताकि आयोग संविधानिक प्रावधानों को सम्बंधित विषयों में सुधार करने के लिए अधिक सुगम और सशक्त नीतिगत निर्णय ले सके।

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