दरअसल, सेब की खरीद करने हिमाचल आई अडानी एग्री फ्रेश कंपनी से बागवानों को जोर का झटका मिला है। कंपनी ने जो रेट तय किए हैं, उन्हें सुनकर बागवानों में नाराजगी है।

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मालू्म हो कि पिछले साल के मुकाबले इस बार प्रतिकिलो के हिसाब से 16 रुपये कम कीमत तय की गई है। कंपनी 26 अगस्त से सेब की खरीदारी शुरू कर देगी। इस बीच कंपनी ने मंगलवार को सेब खरीद मूल्य की घोषणा की। अडानी एग्री फ्रेश अस्सी से 100 फीसदी रंग वाला एक्स्ट्रा लार्ज सेब 52 रुपये प्रति किलो जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल सेब 72 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीदेगी।

वहीं, बीते साल एक्स्ट्रा लार्ज सेब 68 जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल सेब 88 रुपये प्रति किलो तय किया गया था। मंडियों के बाद अडानी के रेट भी कम होने से बागवान नाराज हैं। इस बार 60 से 80 फीसदी रंग वाला एक्स्ट्रा लार्ज सेब 37 रुपये किलो जबकि की लार्ज, मीडियम और स्मॉल आकार का सेब 57 रुपये प्रति किलो की कीमत पर खरीदा जाएगा। 60 फीसदी से कम रंग वाले सेब की खरीद 15 रुपये प्रति किलो की कीमत पर होगी। बीते साल ऐसा सेब 20 रुपये किलो खरीदा गया था।

बता दें कि अडानी एग्री फ्रेश के लिए बागवानों को अपना सेब क्रेटों में अडानी के कलेक्शन सेंटर तक लाना होगा। कंपनी ने 26 से 29 अगस्त तक के लिए यह रेट जारी किए हैं। 29 अगस्त के बाद रेट में बदलाव किया जाएगा।

हिमाचल में अडानी ग्रुप ने ठियोग के सैंज, रोहड़ू के मेहंदली और रामपुर के बिथल में कलेक्शन सेंटर बनाया है। अडानी एग्री फ्रेश के टर्मिनल मैनेजर पंकज मिश्रा ने बताया, ‘मंडियों के मुकाबले अडानी ने अच्छे रेट तय किए हैं।

वहीं, कृषि मामलों के जानकार देवेंद्र शर्मा ने मामले पर कहा, ‘इसी वजह से किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इसलिए एमएसपी को कानूनी अधिकार बनाए जाने की बात कही जा रही है।’

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