असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद क्या है?

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वर्तमान में 2 राज्यों का सीमा विवाद चल रहा है उसका नाम है असम और अरुणाचल प्रदेश का Border dispute । इस Border dispute में 1951 में एक समिति है उसकी रिपोर्ट विवाद का कारण बनी हुई है उस समिति का नाम है बारदोलाई समिति। यह समिति असम के मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई के द्वारा गठित किया गया था अरुणाचल प्रदेश असम एक दूसरे के चारों ओर 800 किलोमीटर का बॉर्डर शेयर करते हैं इस 800 किलोमीटर के बॉर्डर शेयर करने पर असम वह अरुणाचल प्रदेश के बीच में बहुत बार एक दूसरे के खिलाफ टीका टिप्पणी होती रहती है। हाल ही में यह पता चला है कि असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच एक सड़क का निर्माण हो रहा है इसके बारे में और जानने के लिए इस Content पूरा पढ़िएगा। अब आइए हम आपको इसके आगे की जानकारी प्राप्त करवाते हैं।

असम अरुणाचल प्रदेश के बीच सड़क निर्माण :

असम व अरुणाचल प्रदेश के बीच एक लिकाबली और दुरापाई नामक रोड का निर्माण हो रहा है। यह रोड ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के तहत बन रही है। इस रोड के बनने पर बहुत ज्यादा विरोध हो रहा है। पहले असम अरुणाचल प्रदेश एक ही हुआ करते थे यह अलग अलग राज्य नहीं थे लेकिन इन दोनों के बीच में बॉर्डर निर्माण कैसे हुआ और यह दोनों राज्य अलग कैसे हो गए आइए हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से बताते हैं।

Assam aur arunanchal Pradesh ka map

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असम अरुणाचल प्रदेश के बीच बॉर्डर निर्माण कैसे हुआ ?

यह अंग्रेजो के समय की बात है अंग्रेजों ने सन 1873 ईस्वी के अंदर जहां जहां हिमालयन क्षेत्र था अंग्रेजों के समय के अंदर इस क्षेत्र को क्योंकि दूसरी तरफ चीन था इस वजह से अंग्रेजों ने अरुणाचल प्रदेश को सीमांत क्षेत्र ( Frontier area ) कहा। और ऐसी स्थिति में बॉर्डर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अरुणाचल प्रदेश में एंट्री करने वालों को Permit लेने की एक कंडीशन डाल दी। क्योंकि यह बॉर्डर क्षेत्र है और बॉर्डर सुरक्षित रहना जरूरी है। इसलिए अंग्रेजों ने अरुणाचल प्रदेश में Tribes (जनजाति) की रखवाली के नाम पर परमिट व्यवस्था चला दी। जिसे inner line permit कहते हैं। यह जो inner line permit की व्यवस्था 1873 इसवी के अंदर चलना शुरू हुई। यानी कि यहां जाने से पहले आपको सरकार से permission लेनी पड़ेगी। और Frontier Hills जो कि अपने आप में अंग्रेजों का बॉर्डर था। उस बॉर्डर तक पहुंचने के लिए permission अनिवार्य थी। एक प्रकार से यह समझ में जो हिस्सा पहले पूरा असम का हुआ करता था उस असम के अंदर बाउंड्री कर दी गई। कि इन पहाड़ियों पर जाने से पहले इजाजत लेकर आपको जाना पड़ेगा। 1915 में अंग्रेजों ने इसी जगह को NEFT ( North East Frontier tracts) नाम दिया। बाद में यही NEFT आगे चलकर अरुणाचल प्रदेश बना। लेकिन जब यहां से अंग्रेज चले गए। तो उनके चले जाने के बाद सन 1954 ईस्वी में भारत सरकार के द्वारा इस NEFT शब्द को बदलकर NEFA ( North East Frontier agency) नाम दिया गया। और यह अरुणाचल प्रदेश NEFA 1972 ईस्वी मे केंद्र शासित प्रदेश (union territory,UT) बन जाता है। और फिर यह केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त किया हुआ अरुणाचल प्रदेश वर्ष 1987 में जाकर इसका नाम अरुणाचल प्रदेश रखा जाता है। अब अरुणाचल प्रदेश को एक राज्य का दर्जा प्राप्त होता है। यह अरुणाचल प्रदेश प्रेजेंट टाइम में जो है वह पहले असम ही हुआ करता था। संक्षेप में देखे तो यह सबसे पहले असम से 1873 ईस्वी में inner line बना दिया गया उसके बाद में सन 1915 ईस्वी में NEFT नाम तथा उसके बाद 1954 ईस्वी में NEFA नाम दिया गया। और सन 1972 ईस्वी में यह केंद्र शासित प्रदेश बन जाता है। तथा 1987 में इसे एक राज्य अरुणाचल प्रदेश बना दिया गया। यानी कि जो असम है वह असम असल में 1987 ईस्वी में दो भागों में टूट गया। एक तरफ असम के पास पूरा का पूरा समतल क्षेत्र (plainner area) मिल गया और अरुणाचल प्रदेश के पास पहाड़ियां चली गई। अब अरुणाचल प्रदेश के अंदर पहाड़ियां होने के साथ साथ यहां पर रोजगार या कमाने के साधन भी नहीं बचें। और असम में पूरा समतल क्षेत्र के अंदर यहां पर ब्रह्मपुत्र नदी भी बहती है तो जो ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास के समतल क्षेत्र थे वह भी असम के हो गए। अब इन दोनों राज्यों के बीच विवाद बढ़ने लगा।

Arunanchal Pradesh ka map

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असम व अरुणाचल प्रदेश के बीच बढ़ता विवाद :

असम के मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलाई उस समय के मुख्यमंत्री थे जब इन दोनों राज्यों के बीच विवाद शुरू हुआ था। गोपीनाथ बोरदोलोई ने 1951 ईस्वी में अपनी एक रिपोर्ट केंद्र सरकार के पास भेजी। इसे बारदोलाई रिपोर्ट भी कहा जाता है। और कहां है कि उसमें बालीपारा और सादिया नाम से 2 फुट हिल्स हैं यह दो ऐसे क्षेत्र थे जो अरुणाचल प्रदेश से लेकर के असम के 2 जिलों (दरांग व लखीमपुर) को दे दिए गए। आप असम के इन दोनों जिलों को मैप में नीचे देख सकते हैं।

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यह बालीपरा और सादिया नामक फुटहिल्स अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र थे। लेकिन बारदोलाई समिति की रिपोर्ट ने इन क्षेत्रों को निकालकर असम के 2 जिले (दरांग और लखीमपुर) को दे दिया गया। लगभग 3600 किलोमीटर वर्ग का क्षेत्रफल था। जिसको निकालकर असम को पकड़ा दिया गया यह उस समय के मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोर्दोलोई की बनी हुई एक रिपोर्ट के द्वारा की गई थी। तभी से अरुणाचल प्रदेश असम के बीच विवाद उत्पन्न हुआ क्योंकि बारदोली समिति ने जो भी जानकारी दी वह सिर्फ और सिर्फ असम के पक्ष में थी यह निर्णय बारदोली समिति ने अरुणाचल पक्षपात किया। अरुणाचल प्रदेश के उन दो हिस्सों को (जिस समय वह NEFT हुआ करता था) भी असम में मिला लिया गया। और तो और इस समिति की मीटिंग में अरुणाचल प्रदेश का कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं था। तो किस आधार पर असम के मुख्यमंत्री ने सीमा का स्थानांतरण कर लिया और उन दो हिस्सों को असम में मिला लिया। तब से लेकर आज तक इस समिति की जो रिपोर्ट है इसी के आधार पर इन दोनों राज्यों के बीच लड़ाई चली आ रही है। यह दोनों राज्य 800 किलोमीटर का बॉर्डर शेयर करते हैं और मात्र 400 किलोमीटर बीच में ही बॉर्डर बना है यह दरभंगा लखीमपुर जिले में हर समय बवाल चलता रहता है। और यह बवाल हाल ही में फिर से निकल कर आया है। क्योंकि यहां पर एक सड़क बनी थी और फिर आपस में यह दोनों राज्यों के बीच विवाद शुरू हो गया। सन 1979 के अंदर एक समिति का गठन हुआ उसके बाद 1983 से 84 के बीच में यह दोनों के बीच में समझौता करके 489 किलोमीटर के बीच में बॉर्डर रेखा का निर्माण कर दिया गया। लेकिन उसके बावजूद भी यह विवाद नही थमा। तो 1989 में या विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया

जिसमें अरुणाचल प्रदेश ने यह कहा कि हमारे जगह के ऊपर असम के द्वारा कब्जा किया गया है ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से 2006 में एक लोकल बाउंड्री कमीशन का गठन किया जो कि सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में बनाया गया था। सितंबर 2014 में इस लोकल कमीशन ने अपनी रिपोर्ट जो है वह बहुत सारी सिफारिशों के साथ में अरुणाचल प्रदेश को सौंपी। लेकिन इस रिपोर्ट में जो कमीशन सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व में बिठाया गया।

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जिसमें यह कहा गया अरुणाचल प्रदेश को उस क्षेत्र का जो कि बारदोली समिति ने असम लगभग 36 किलोमीटर वर्ग क्षेत्र के आसपास जो क्षेत्र दे दिया गया था। वह क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश को वापस दे देना चाहिए। लेकिन वह बात आज तक नहीं मानी गई यानी कि बहुत सारा क्षेत्र वापस देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई थी उसने भी सिफारिश दे दी। लेकिन असम ने वह जमीन अभी तक नहीं लौटाई है। इसीलिए यह मसला आज तक विवाद चला हुआ है। हमने आपको दोनों राज्यों के बीच के विवाद का इतिहास भी बता दिया। और साथ में यह भी बता दिया कि दोनों जगह की सरकार एक ही पार्टी की चल रही है। इसलिए दोनों मुख्यमंत्री की हाल ही में बातचीत हुई है। दोनों मुख्यमंत्री असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा तथा अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम खांडू ने आपस में कहा है कि boundary issue को resolve करने के लिए सकारात्मक बात की है और हो सकता है कि आगे इस मामले को निपटा दिया जाए। तो पूर्वोत्तर भारत में कितने प्रकार के विषय है जिसमें से सीमा विवाद भी बहुत बड़ा विषय है।

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